Dr. Kamlesh Verma

MEDITATION


MEDITATION.ध्यान .. मेडिटेशन क्या है, कितने तरीकों से किया जाता है? जानिए आपके लिए कौन-सा है बेस् मेडिटेशन क्या है, कितने तरीकों से किया जाता है,, जानिए आपके लिए कौन-सा है बेस्ट What is Meditation types of meditation and what type is best for you ... तनावपूर्ण जीवनशैली में मेडिटेशन आपको रिलैक्स करने में मदद करता है। जब अक्सर हमारी इंद्रियां सुस्त हो जाती हैं तो मेडिटेशन हमें जागरूकता बढ़ाने का अवसर देता है। शोध बताते हैं कि मेडिटेशन हमें अस्थायी रूप से तनाव से राहत दे सकता है। इसके आराम और सुखदायक लाभों के कारण, हेल्दी और एक्टिव लाइफ के लिए एक्सपर्ट मेडिटेशन करने की सिफारिश करते हैं। क्या आप जानते हैं कि ध्यान कई प्रकार के होते हैं और इसका प्रत्येक प्रकार शरीर के विभिन्न हिस्सों को टारगेट करने के लिए होता है। आध्यात्मिक गुरुओं और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने मेडिटेशन के कई प्रकार विकसित किए हैं जिससे पता चलता है कि मेडिटेशन हर व्यक्तित्व और लाइफस्टाइल के लोगों के लिए अनुकूल है और इसका अभ्यास हर कोई कर सकता है। जो लोग मेडिटेशन करते हैं, उन्हें इसके अभ्यास से शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ भावनात्मक स्वास्थ्य में सुधार करने का मौका मिलता है। यहां हम मेडिटेशन के कुछ प्रकार बता रहे हैं जिनसे आप चुन सकते हैं कि आपके लिए कौन सा बेस्ट है। मेडिटेशन का क्या मतलब होता है । meditation का हिन्दी अर्थ । ध्यान एक क्रिया है जिसमें व्यक्ति अपने मन को चेतना की एक विशेष अवस्था में लाने का प्रयत्न करता है। ध्यान का उद्देश्य कोई लाभ प्राप्त करना हो सकता है या ध्यान करना अपने-आप में एक लक्ष्य हो सकता है। इसके लिए शांत बैठ कर लंबी गहरी सांस लें और उन पर ध्यान लगाएं. मेडिटेशन करते समय कोशिश करें कि आसपास कोई शोर शराबा ना हो ताकि मेडिटेट करते हुए मन और दिमाग ना भटके. मेडिटेशन करते समय अपने आप को पूरी तरह कंफर्टेबल रखने की कोशिश करें. मेडिटेशन करते हुए कंफर्टेबल पोजीशन में बैठें और केवल आरामदायक कपड़े पहनें. मेडिटेशन की शुरुआत कैसे करें।। इसे करने के लिए आपको कुछ नहीं करना है, बस नोटिस करना है। हर सांस को पूरी तरह से अनुभव करते रहें, इसे नियंत्रित करने की कोशिश किए बिना। जब आप अपने विचारों को भटकते हुए देखें, तो उन्हें धीरे से अपनी सांसों में वापस लाएं। ऐसा तब तक करें जब तक आपका टाइमर बंद न हो जाए। मेडिटेशन करते समय क्या सोचना चाहिए।। ध्यान करते वक्त सोचना बहुत होता है। लेकिन यह सोचने पर कि मैं क्यों सोच रहा हूं कुछ देर के लिए सोच रुक जाती है। सिर्फ श्वास पर ही ध्यान दें और संकल्प कर लें कि 20 मिनट के लिए मैं अपने दिमाग को शून्य कर देना चाहता हूं। अंतत , ध्यान का अर्थ ध्यान देना, हर उस बात पर जो हमारे जीवन से जुड़ी है। मेडिटेशन कितने मिनट तक करना चाहिएम। ध्यान और मेडिटेशन करने के लिए आपको हर दिन 30 मिनट की जरूरत होगी। लेकिन इसकी शुरुआत आप 10 मिनट या 15 मिनट से भी कर सकते हैं। आप चाहें तो 30 मिनट के ध्यान को 10 मिनट के 3 सेशन या 15 मिनट के दो 2 सेशन में बांटकर भी कर सकते हैं। अगर आपको शुरुआत में मन एकाग्र करने में दिक्कत हो तो परेशान ना हों।


तन को स्वस्थ और मन को शांत रखने के लिए करें ये 5 प्रकार के मेडिटेशन Meditation types and benefits: मेडिटेशन यानी कि ध्यान ना सिर्फ आपके मन के विचारों पर लगाम लगाने में मदद करता है बल्कि, ये मन और शरीर को डिटॉक्सीफाई भी करता है। क्या आप ध्यान या मेडिटेशन करते हैं । इस सवाल से बहुत से लोग बचते हैं क्योंकि इस व्यस्त जिंदगी में हमारे पार ध्यान या मेडिडेट करने का समय ही नहीं है। दरअसल, ध्यान करने से पहले कुछ दिन आपको इसका कोई फायदा नजर ना आए लेकिन कुछ दिनों के बाद आप अपने व्यवहार और शरीर में कुछ बदलाव महसूस करेंगे। जी हां, मेडिटेशन करने से ( meditation benefits) पहले तो आपका माइंड डिटॉक्स होता है और फिर ये शरीर के काम काज को बेहतर बनाने में मदद करता है। वो कैसे, आइए हम आपको बताते हैं लेकिन इससे पहले जानते हैं मेडिटेशन के 5 प्रकार(5 types of meditation) मेडिटेशन करने के 5 तरीके और फायदे-5 ways to meditate in hindi 1. आध्यात्मिक ध्यान (ऊं के स्वर के साथ ध्यान करना)-Spiritual meditation ध्यान की शुरुआत एकाग्रता के साथ शुरू होती है। ऐसे में शुरुआत में मन को एकाग्र करने के लिए आपको किसी आवाज या स्वर पर ध्यान देने की जरूरत पड़ सकती है। ऐसे में ऊं के स्वर के साथ आप मेडिटेशनकी शुरुआत कर सकते हैं। हिंदू धर्म में इस शब्द को सार्वभौम से जोड़ा गया है यानी कि ये आपके शरीर और मन का मेल करता है और इसे एक करता है। इससे आपकी एकाग्रता बढ़ेगी। उसके बाद ये आपकी समझ और याददाश्त बढ़ाने में मदद करती है। साथ ही इसे करने से आप स्ट्रेस फ्री महसूस करते हैं और आपको बेहतर महसूस होता है। माइंडफुलनेस मेडिटेशन (Mindfulness Meditation) माइंडफुलनेस मेडिटेशनआपके विचारों के साथ पूरी तरह से उपस्थित होने की प्रक्रिया है। जागरूक होने का अर्थ है कि हम कहां हैं और हम क्या कर रहे हैं, इसके बारे में जागरूक होना और हमारे आस-पास क्या हो रहा है, इसके प्रति अत्यधिक प्रतिक्रियाशील नहीं होना। ये ब्रेन डिटॉक्स करने के साथ बॉडी डिटॉक्स करने में मददगार है। ये आपके माइंडफुल मेडिटेशन कहीं भी किया जा सकता है। कुछ लोग शांत जगह पर बैठना पसंद करते हैं, अपनी आंखें बंद कर लेते हैं और अपनी श्वास पर ध्यान केंद्रित करते हैं। लेकिन आप दिन के किसी भी समय काम करने के दौरान भी कर सकते हैं। अवश्य ध्यान दें । समय की कमी हो तो चलते चलते करें मेडिटेशन, जानें इसका सही तरीका और फायदे मेडिटेशन से हार्ट बन सकता है हेल्दी, एक्सपर्ट्स भी मानते है ध्यान की ताकत है बड़ी आपके दिमाग को शांत रखेंगी ये 3 तकनीक, काम को बेहतर ढंग से करने में मिलेगी मदद । 3. चक्र ध्यान (Chakra Meditation) चक्र एक प्राचीन संस्कृत शब्द है। चक्र शरीर में ऊर्जा और आध्यात्मिक शक्ति के केंद्रों का उल्लेख करते हैं। माना जाता है चक्र सात प्रकार के होते हैं। प्रत्येक चक्र शरीर के अलग अलग हिस्से में स्थित होता है और प्रत्येक का एक समान रंग होता है। चक्र ध्यान चक्रों में संतुलन और मन के भावों पर कंट्रोल करने पर जोड़ देता है। इससे हार्मोनल हेल्थ सही रही है और मूड स्विंग्स नहीं होते। मूवमेंट के साथ ध्यान (Movement meditation) अधिकांश लोग एक जगह पर स्थिर हो कर मेडिटेट नहीं कर पाते हैं। ऐसे में उनके लिए कुछ करते हुएटहलना ध्यान लगाना आसान होता है। ऐसे में आप कुछ करते हुए मेडिटेशन कर सकते हैं। जैसे कि टहलना बागवानी करना सर्कुलर मूवमेंट में किसी पार्क पर घूमना 5. केंद्रित ध्यान (Focused meditation) केंद्रित ध्यान में पांच इंद्रियों में से किसी एक का उपयोग करके एकाग्र होना शामिल है। उदाहरण के लिए, आप किसी आंतरिक चीज पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं, जैसे कि आपकी सांस या अपनी नाक या सिर के किसी बिंदू पर। इसके अलावा आप बाहरी की चीज पर भी ध्यान केंद्र कर सकते हैं। जैसे कि म्यूजिक पर, मोमबत्ती की लौ पर, पेड़ पर और चांद पर। यह अभ्यास सिद्धांत रूप में सरल हो सकता है, लेकिन शुरुआती लोगों के लिए पहले कुछ मिनटों से अधिक समय तक अपना ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो सकता है। अगर आपका मन भटकता है, तो बस अभ्यास पर वापस आएं और फिर से ध्यान केंद्रित करें।


गीता के अनुसार ध्यान क्या है। गीता के अध्याय-६ में श्रीकृष्ण द्वारा ध्यान की पद्धति का वर्णन किया गया है। ध्यान करने के लिए पद्मासन, सिद्धासन, स्वस्तिकासन अथवा सुखासन में बैठा जा सकता है। शांत और चित्त को प्रसन्न करने वाला स्थल ध्यान के लिए अनुकूल है। रात्रि, प्रात:काल या संध्या का समय भी ध्यान के लिए अनुकूल है। गीता अध्याय 6 ध्यान योग.... बुराई से कभी पराजित नहीं होता। भगवद गीता 6.2देखें,, जिसे सन्यास कहते हैं वह योग से भिन्न नहीं है, क्योंकि सांसारिक कामनाओं का त्याग किए बिना कोई भी योगी नहीं बनता। भगवद गीता 6.3देखें,, योग में सिद्धि चाहने वाले जीव के लिए आसक्ति रहित कर्म को साधन कहा गया है । योग में पहले से ही उन्नत ऋषि के लिए ध्यान में शांति को साधन कहा जाता है। भगवद गीता 6.4देखें । जब कोई न तो इन्द्रियविषयों में आसक्त होता है और न ही कर्मों में, ऐसे व्यक्ति को कर्मों के फल के लिए सभी इच्छाओं को त्याग कर, योग विज्ञान में उन्नत कहा जाता है। भगवद गीता 6.5देखें ,, अपने मन की शक्ति से स्वयं को ऊपर उठाएं, न कि स्वयं को नीचा दिखाएं, क्योंकि मन स्वयं का मित्र भी हो सकता है और शत्रु भी। भगवद गीता 6.6देखें ,, जिन्होंने मन को जीत लिया है, उनके लिए यह उनका मित्र है। जो ऐसा करने में असफल होते हैं उनके लिए मन शत्रु के समान कार्य करता है। भगवद गीता 6.41,, 6.42देखें ,, असफल योगी, मृत्यु के बाद, सद्गुणों के लोकों में जाते हैं। कई युगों तक वहाँ रहने के बाद, वे फिर से पृथ्वी लोक में पवित्र और समृद्ध लोगों के परिवार में पुनर्जन्म लेते हैं। अन्यथा योग के दीर्घ अभ्यास के कारण यदि उनमें वैराग्य आ गया होता तो वे दिव्य ज्ञान युक्त कुल में जन्म लेते हैं। इस संसार में ऐसा जन्म प्राप्त करना बहुत कठिन है। भगवद गीता 6.43देखें ,, ऐसा जन्म लेकर, हे कुरु वंश, वे अपने पिछले जन्मों के ज्ञान को फिर से जागृत करते हैं, और योग में पूर्णता के लिए और भी कठिन प्रयास करते हैं। भगवद गीता 6.44देखें,, वास्तव में, वे अपने अतीत के अनुशासन के बल पर, अपनी इच्छा के विरुद्ध भी, परमेश्वर की ओर आकर्षित महसूस करते हैं। ऐसे साधक स्वाभाविक रूप से शास्त्रों के कर्मकांड के सिद्धांतों से ऊपर उठ जाते हैं। भगवद गीता 6.45देखें ,, पिछले कई जन्मों के संचित पुण्यों के साथ, जब ये योगी आगे की प्रगति करने के लिए ईमानदारी से प्रयास करते हैं, तो वे भौतिक इच्छाओं से शुद्ध हो जाते हैं और इसी जीवन में पूर्णता प्राप्त करते हैं। भगवद गीता 6.46देखें ,, एक योगी तपस्वी (तपस्वी) से श्रेष्ठ होता है, ज्ञानी (विद्वान व्यक्ति) से श्रेष्ठ होता है , और कर्मी ,अनुष्ठानिक कलाकार ,,से भी श्रेष्ठ होता है। इसलिए हे अर्जुन, योगी बनने का प्रयत्न करो। भगवद गीता 6.47देखें ,, सभी योगियों में, जिनका मन हमेशा मुझमें लीन रहता है और जो बड़ी श्रद्धा से मेरी भक्ति में रत रहते हैं, उन्हें मैं सबसे श्रेष्ठ मानता हूँ।


Meditation,,,ध्यान,,, के नुकसान..... ध्यान में जब आप जरूरत से ज्यादा एनर्जी को ब्रह्मांड से खीचते हो तो आपका मस्तिष्क भारी हो जायेगा और ध्यान के बाद तुरंत नींद आने लगेगी और अगर आप ऐसे ही खीचते रहे एनर्जी तो आपके शरीर के अंग को नुकशान भी हो सकता है।