Dr. Kamlesh Verma

अक्षय तृतीया,,, Akshya Tritya...


*राधे - राधे ॥ आज का भगवद् चिन्तन ॥* *" सुपथ को चुनें "* ............................................................. जीवन में पद से ज्यादा महत्व पथ का है इसलिए पदच्युत हो जाना मगर भूलकर भी कभी पथच्युत मत हो जाना। पथच्युत हो जाना अर्थात उस पथ का त्याग कर देना जो हमें सत्य और नीति के मार्ग से जीवन की ऊंचाईयों तक ले जाता है। पथच्युत होने का अर्थ है, जीवन की असीम संभावनाओं की ओर बढ़ते हुए कदमों का विषय- वासनाओं की दलदल में फँस जाना। महान लक्ष्य के अभाव में जीवन केवल प्रभु द्वारा प्राप्त इस मनुष्य देह का तिरस्कार ही है और कुछ नहीं। पद से गिर भी गए तो संभलना आसान है मगर पथ से गिरकर संभल पाना आसान नहीं। महानता के द्वार का रास्ता मानवता से होकर ही गुजरता है। मानवता की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म और उपासना है। मानवता रुपी पथ का परित्याग ही तो पथच्युत हो जाना है। *अक्षय तृतीया के पावन पर्व की आप सभी को अनंत शुभकामनाएं एवं मंगल बधाई ।* हरी ओम